Monday, November 30, 2015

तेरी ओर

हर जगह अब तुम दिखती हो,

जैसे खेतों में लहराती सरसों की चादर...या चाँद की ओडनी ओढ़े यह रात.
जैसे मदहोश कर देने वाली रात की रानी, या पलचीन में छुपी एक अधूरी कहानी.

जैसे कभी घर के आँगन में सूरज धीरे से कदम रखता है,
या जैसे कभी बर्फ से ढकी  धरती पर एक फूल उगता है.

कभी गाओं की गलियों में खिलखिलते बच्चों की हसी में छुप जाती हो,
तो कभी मेरे तकिये तले एक ख्वाब सजाती हो

जैसे पहाड़ों में चलती ठंडी हवा मुझे अपने आप से बाँध देती है,
वैसे ही तुम्हारा एक ख़याल मुझे ऐसे जाकड़ लेता है जैसे नदी सागर  को

जैसे ऊँचे ऊँचे पहाड़ों से झरना ज़ोर से धरती की तरफ़ गिरता है...वैसे ही मैं ना जाने क्यूँ तुम्हारी ओर खिछा चला जाता हूँ.

Wednesday, November 04, 2015

मेरे हर्फ की कहानी

मेरे हर हर्फ में छिपी कहानी हो तुम

कभी मोहब्बत भरे हरफ़ में छिपा "मोह" हो तुम
तो कभी चाहत के हर्फ में छिपी "हद"
कभी दर्द में छिप कर "दुआ" बन जाती हो
और कभी दुआ में छिप कर "आह"


हर्फ - means "word"